कविता - पावन अवसर पर
नये साल के पावन अवसर पर ,
रह -रहे हैं इस धरती पर ......
कुछ न कुछ कर के जाना हैं ,
ना की नये साल पर खुशी मानते रहना हैं,
सब कुछ कर सकता हूँ आने वाले हर पल में....
नये साल को खुसी से मना सकता हूँ ,
तो समाज के लिए नये साल पर .......
कुछ नहीं कर सकता हूँ ,
हर नये साल पर हम कुछ न कुछ.......
सकल्प लेते है अपनी जिन्दगी के लिये,
तो क्या समाज के लिए कुछ करने का ......
एक और सकल्प नहीं ले सकते हैं ,
नये साल के पावन अवसर पर .....
रह- रहे है इस धरती पर........
नये साल के पावन अवसर पर ,
रह -रहे हैं इस धरती पर ......
कुछ न कुछ कर के जाना हैं ,
ना की नये साल पर खुशी मानते रहना हैं,
सब कुछ कर सकता हूँ आने वाले हर पल में....
नये साल को खुसी से मना सकता हूँ ,
तो समाज के लिए नये साल पर .......
कुछ नहीं कर सकता हूँ ,
हर नये साल पर हम कुछ न कुछ.......
सकल्प लेते है अपनी जिन्दगी के लिये,
तो क्या समाज के लिए कुछ करने का ......
एक और सकल्प नहीं ले सकते हैं ,
नये साल के पावन अवसर पर .....
रह- रहे है इस धरती पर........
लेखक - सागर कुमार
कक्षा - 8 अपना घर ,कानपुर
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