कविता - मानव अधिकार
आज का नहीं यह संसार हैं ,
आज हैं मानव अधिकार हैं......
जिसने मनाया जश्न विश्व मानव अधिकार का ,
उसे यही नहीं पता होता क्या हैं मानव अधिकार .....
मानव अधिकार में मानव अपने ढंग से जीते हैं ,
मानव अधिकार मानव के लिए होता हैं ......
आज का नहीं यह संसार हैं ,
आज हैं मानव अधिकार हैं......
जिसने मनाया जश्न विश्व मानव अधिकार का ,
उसे यही नहीं पता होता क्या हैं मानव अधिकार .....
मानव अधिकार में मानव अपने ढंग से जीते हैं ,
मानव अधिकार मानव के लिए होता हैं ......
लेखक - चन्दन कुमार
कक्षा - 6 अपना घर कानपुर
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