कविता- मामा जी
उल्टा पहन पजामा जी ,
आये मेरे मामा जी .....
मामा जी भाई मामा जी ,
दाने -दाने पर मरते हैं....
करते हैं हंगामा जी ,
सीधे- साधे मामा जी....
खम्भे जैसे लम्बे हैं ,
कहलाते हैं मामा जी....
बड़े जोर से चलते हैं ,
गाते सारे गाना जी ....
उल्टा पहन पजामा जी,
आये मेरे मामा जी ....
उल्टा पहन पजामा जी ,
आये मेरे मामा जी .....
मामा जी भाई मामा जी ,
दाने -दाने पर मरते हैं....
करते हैं हंगामा जी ,
सीधे- साधे मामा जी....
खम्भे जैसे लम्बे हैं ,
कहलाते हैं मामा जी....
बड़े जोर से चलते हैं ,
गाते सारे गाना जी ....
उल्टा पहन पजामा जी,
आये मेरे मामा जी ....
लेखक - जीतेन्द्र कुमार
कक्षा - 8 अपना घर ,कानपुर
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