शनिवार, 7 जनवरी 2012

कविता- मामा जी

कविता- मामा जी 
 उल्टा पहन पजामा जी ,
आये मेरे मामा जी .....
 मामा जी भाई मामा जी ,
 दाने -दाने पर मरते हैं....
करते हैं हंगामा जी ,
 सीधे- साधे मामा जी....
खम्भे जैसे लम्बे हैं ,
कहलाते हैं मामा जी....
 बड़े जोर से चलते हैं ,
गाते सारे गाना जी ....
उल्टा पहन पजामा जी,
 आये मेरे मामा जी ....
लेखक - जीतेन्द्र कुमार 
कक्षा - 8 अपना घर ,कानपुर 

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