मंगलवार, 1 नवंबर 2011

कविता : पृथ्वी

 पृथ्वी

पृथ्वी पर है कितना भार,
इस पर चलती मोटर-कार....
पानी भरा है इसमें प्यारा,
पहाड़-झरनों से निकला सारा....
जब तेजाबी वर्षा होती ,
पृथ्वी पर विनाश की क्रिया होती है.....
पृथ्वी पर कितना भार,
इस पर चलती मोटर-कार.....

लेखक : ज्ञान कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर  

3 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

बहुत सुन्दर बाल कविता।

Pallavi saxena ने कहा…

बहुत ही सुंदर बाल कविता सच्ची पृथ्वी पर है कितना भार यहाँ दौड़ती मोटर कार :-)

Gyan Darpan ने कहा…

अति-सुन्दर
Gyan Darpan
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