कविता - पक्षी उड़े हैं जोर - जोर से
पक्षी उड़े हैं जोर - जोर से ,
हवा चली हैं शोर -शोर से .....
गगन में सब नाचे गए ,
सुबह -सुबह जैसे खेत लहाराये.....
पेड़ो की डाले यूँ बहके ,
बागो के सरे फ़ूल महके......
शुध्द हवा दे रही ताजगी ,
अब न रहेगी गन्दगी......
यहाँ का मौसम सब को भाता,
बिन मांगे बारिस करता ........
यहाँ का जाड़ा सबको भाता ,
बिन बुलाये सर्दी लाता ......
गर्मी भी सबको भाये ,
यहाँ का मौसम गर्नी में ठंडी हवा बहाये......
पक्षी उड़े हैं जोर -जोर से ,
हवा चली हैं शोर- शोर से ........
पक्षी उड़े हैं जोर - जोर से ,
हवा चली हैं शोर -शोर से .....
गगन में सब नाचे गए ,
सुबह -सुबह जैसे खेत लहाराये.....
पेड़ो की डाले यूँ बहके ,
बागो के सरे फ़ूल महके......
शुध्द हवा दे रही ताजगी ,
अब न रहेगी गन्दगी......
यहाँ का मौसम सब को भाता,
बिन मांगे बारिस करता ........
यहाँ का जाड़ा सबको भाता ,
बिन बुलाये सर्दी लाता ......
गर्मी भी सबको भाये ,
यहाँ का मौसम गर्नी में ठंडी हवा बहाये......
पक्षी उड़े हैं जोर -जोर से ,
हवा चली हैं शोर- शोर से ........
लेखक -आशीष कुमार
कक्षा - ९ अपना घर ,कानपुर
1 टिप्पणी:
सुन्दर कविता... बधाई!!!
एक टिप्पणी भेजें