" कभी कुछ खाश "
मैं सोचता हूँ कभी कुछ खास,
जिस पर मुझे खुद है विश्वास |
मेरी बचपन से ये पढ़ने की प्यास,
बना देती है मुझे उदास |
मेरी ये जिंदगी और बड़नसबी,
कहीं कर दे न सपने चूर |
सपनों पर निखरना चाहता हूँ,
लेकिन परिस्थितियाँ निखरने ने देती |
कोशिश करता हूँ सपना हो खाश,
जिस पर मुझे खुद पर हो विश्वास |
नाम : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
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