शुक्रवार, 26 जुलाई 2019

कविता : काले बादल

" काले बादल "

देखा आसमान एक बार,
मिला काले बादलों का भंडार |
ठंडा मौसम है बन जाता,
मोर मोरनी सब चिल्लाता |
नाच देख जब मोर का,
बच्चे नाचे छम - छम -छम |
टिप -टिप आवाज़ है आती,
पवन भी खूब सरसराती |
दिल , मन मचला करता है,
बूंदें जब आसमान से टपकता है |

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के निवासी हैं | कुलदीप को कविता लिखने का बहुत शौक है और बहुत सी कवितायेँ भी लिखते हैं | कुलदीप पढ़ लिखकर एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं | कुलदीप को क्रिकेट खेलना बहुत अच्छा लगता है कुलदीप पढ़ने में बहुत अच्छे हैं | |

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