" बरसात "
टिप-टिप बरसा पानी,
झम-झम बरसा पानी |
जब धरती पर है आती,
टप-टप शोर है मचाती |
बच्चे सभी ख़ुशी मनाते,
बरसते के पानी में खूब नहाते |
जगह -जगह कीचड़ फैलाते,
पानी का बौछार बहाते |
ठण्डी -ठण्डी हवा है लातें,
रात में मच्छर हमें सताते |
टिप-टिप बरसा पानी,
झम-झम बरसा पानी |
कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं कुलदीप जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और इनके माता - पिता कानपुर में गृह निर्माण का कार्य करते हैं और कुलदीप अपना घर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं | कुलदीप कवितायेँ बहुत अच्छी लिखते हैं | बड़े होकर और कुछ बनकर कुलदीप अपने घर की आर्थिक व्यवस्था को सुधारना चाहता हैं | कुलदीप पढ़ाई में बहुत अच्छा है |
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