" बच्चे की राह "
चलना चाहता हूँ सावधानी से,
हूँ मैं एक छोटा सा बच्चा |
आप के साथ खड़ा रहना चाहता हूँ,
क्योंकि डर है मुझे लगता |
चलते - चलते इन समय में,
कहीं टहल न जाऊँ |
भटकने का जोखिम है,
कहीं रास्ता न भूल जाऊँ |
गर्मी की सूरज ,सर्दी की बर्फ,
वर्षों के लिए भटक रहा है |
शायद मुझे अपनी मंजिल मिल जाए,
मैं भी औरों की तरह खुश हो जाऊँ |
चलना चाहता हूँ सावधानी से,
हूँ मैं एक छोटा सा बच्चा |
भटकने का जोखिम है,
कहीं रास्ता न भूल जाऊँ |
कवि : सनी कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर
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