" हवा चली पुरवइया "
चली पुरवइया हवा कहाँ से ,
कैसे गुजरा पता न चला |
बरसात में बहती ठण्डी हवा,
झकझोर कर देती हवा |
यह खिलती है फूलों की तरह,
यह हिलती है पेड़ों की तरह |
जब चलती है हवा ,चन्द्रमा के पास से,
गुजर जाती है बादलों की सांसों से |
आँधी तूफान लाती है हवा ,
झकझोर कर जाती है हवा |
कवि : सनी कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं सनी जो की बिहार के रहने वाले हैं | सनी हर गतिविधि में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं और अच्छा प्रदर्शन करते हैं | सनी पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं और पढ़ाई के साथ - साथ कवितायेँ भी बहुत अच्छा लिखते हैं |
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