शनिवार, 16 जून 2018

कविता : हवा चली पुरवइया

" हवा चली पुरवइया "

चली  पुरवइया हवा  कहाँ से ,
कैसे गुजरा पता न चला | 
बरसात में बहती ठण्डी हवा,
झकझोर कर देती हवा | 
यह खिलती है फूलों की तरह,
यह हिलती है पेड़ों की तरह | 
जब चलती है हवा ,चन्द्रमा के पास से, 
गुजर जाती है बादलों की सांसों से | 
आँधी तूफान लाती है हवा  ,
झकझोर कर जाती है हवा | 

कवि : सनी कुमार , कक्षा : 7th ,  अपना घर 



कवि परिचय : यह हैं सनी जो की बिहार के रहने वाले हैं | सनी   हर गतिविधि में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं  और अच्छा प्रदर्शन करते हैं | सनी पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं और पढ़ाई के साथ - साथ कवितायेँ भी बहुत अच्छा लिखते हैं | 

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