" मन्द मन्द हवाएँ बहती हैं "
मन्द मन्द हवाएँ बहती हैं,
इशारा से ये कुछ कहती है |
उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है,
पेड़ की पत्तियों से कुछ कहती है |
जीवन की हर साँसों में रहती है,
फूलों की खुशबू को बढ़ाती हैं |
खुशबू को चिड़ियों तक पहुँचाते है,
कभी कभी हँसती भी है हवाएँ |
तो पता चलता नहीं है हमको,
ठण्डी ठण्डी हवाओं को छूकर |
मन है अपना मचलता | |
कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और अपना घर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं | प्रांजुल हमेशा चाहते हैं की कुछ नया सीखे इसीलिए हमेशा कोशिश करते रहते हैं | प्रांजुल को गणित और विज्ञान विषय बहुत पसंद है |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें