" वीर योद्धा "
वीरो कि क्या तारीफ करूँ ,
जो हँसाना हँसाना फाँसी पर झूल गए।
डरे नहीं वो मौत से ,
शेर बनकर दहाड़ गए।
बिन गोली हथियार से फिरंगियो से वो जूझ गए।
एक नहीं सौ - सौ को अकेले ही पछाड़ गए।
स्वपन रहा आजादी का बचपन से ,
उस स्वपन को साकार गए।
डरे नहीं फिरंगियो से ,
मौत के सामने सीना तान खड़े ,
इंकलाब का नारा बोल गए।
क्या तारीफ करूँ वीरो की ,
जो हँसाना - हँसाना फाँसी पर झूल गए।
सभी को मेरे तरफ से " इंडिपेंडेंस डे " की हार्दिक सुभकामनाये।
कवि: साहिल कुमार, कक्षा: 9th,
अपना घर
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