शुक्रवार, 15 अगस्त 2025

कविता: " वीर योद्धा "

 " वीर योद्धा  "
 वीरो कि क्या तारीफ करूँ ,
जो हँसाना हँसाना फाँसी पर झूल गए। 
डरे नहीं वो मौत से ,
शेर बनकर दहाड़ गए। 
बिन गोली हथियार से फिरंगियो से वो जूझ गए। 
एक नहीं सौ - सौ को अकेले ही पछाड़ गए। 
स्वपन रहा आजादी का बचपन से ,
उस स्वपन को साकार गए। 
डरे नहीं फिरंगियो से ,
मौत के सामने सीना तान खड़े , 
इंकलाब का नारा बोल  गए।  
क्या तारीफ करूँ वीरो की ,
जो हँसाना - हँसाना फाँसी पर झूल गए। 
सभी को मेरे तरफ से " इंडिपेंडेंस डे " की हार्दिक सुभकामनाये।  
कवि: साहिल कुमार, कक्षा: 9th, 
अपना घर 

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