सोमवार, 11 अगस्त 2025

कविता: " गर्मी से साथ मजे "

 " गर्मी से साथ मजे "
 आज के मौसम में कुछ बदलाव है ,
कभी धुप तो कभी छाया है। 
हवा का नामो निशान नहीं है, 
आज के मौसम में कुछ बदलाव है। 
बहार निकालो तो कड़क धुप  ,
भीतर आओ तो छाया। 
कूलर - पंखा की हवा से ,
दूर हो जाता है तनाव। 
लगाई हिमालय ठंडा तेल ,
फिर आप देखेंगे उसका खेल ,
लगा के देह में कूल पाउडर ,
दूर भगाया गर्मी का दर.
सिर दर्द से रहत पाए ,
इसलिए हिमालय ठंडा तेल लगाए। 
ठंडा - ठंडा, कूल - कूल हो जाए।
कवि: मंगल कुमार, कक्षा: 9th,
अपना घर।   

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