"समुन्द्र की लहरे "
कुछ ख़ास नहीं है ये लहरे।
पर उड़ते समुन्द्र में बड़ी मनभान है ये।
उड़ते हुए पानी को चंचल बनाती है।
जीवन में मुशिकलों से लड़ना सिखाती है ,
कही दूर उगते हुए झीतिज में सूरज,
लालिया दर्शाती है , डूबते सूरज
को नया सवेरा लाने का सन्देश देती है।
बदलते वक्त में बदल नहीं सकती,
हवा के वेग से लड़ नहीं सकती
कुछ ख़ास नहीं है ये लहरे,
अपने में ही सुलझी हुए पहली है लहरे।
उड़ते हुए समुन्द्र की एक बड़ी पहचान है लहरे।
कवि: साहिल कुमार, कक्षा: 9th,
अपना घर।
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