सोमवार, 18 अगस्त 2025

कविता: "ए आसमा कब मुस्कुराएगा"

"ए आसमा कब मुस्कुराएगा"
 ए आसमा कब मुस्कुराएगा ,
अंधूरे जंग में नया सवेरा लाएगा ,
 ए आसमा कब मुस्कुराएगा। 
कबतक उम्र जावा रहेगी ,
अपने पैर कभी  कभी डग डगमाएगी ,
इन कंगाली की रहे पर। 
 कुर्ते और पयजामों संग ,
शोषद की डगरहो पर चलेगा। 
समाज से कब  दीवारों को गिराएगा ,
 ए आसमा कब मुस्कुराएगा। 
 जब सबको बराबर जीने का हक़ होगा ,
सवालों के अपने जवाबो पर गर्व होगा ,
इस राह का इन्तजार पर गर्व होगा ,
उम्र तब जावा रहना क्योकि कल ए आसमां मुस्कुराएगा। 
खुशियों की नई बौछार लाएगा ,
हर किसी की खुशुयो की बहार लाएगा ,
मुस्कुराहटो की नई उमंग लाएगा ,
उम्र तब तक जावा रहना ,
क्योकि आसमां कल मुस्कुराएगा। 
 ए आसमा कब मुस्कुराएगा .... ।। 
कवि: साहिल कुमार, कक्षा: 9th,
अपना घर। 

कोई टिप्पणी नहीं: