"ए आसमा कब मुस्कुराएगा"
ए आसमा कब मुस्कुराएगा ,
अंधूरे जंग में नया सवेरा लाएगा ,
ए आसमा कब मुस्कुराएगा।
कबतक उम्र जावा रहेगी ,
अपने पैर कभी कभी डग डगमाएगी ,
इन कंगाली की रहे पर।
कुर्ते और पयजामों संग ,
शोषद की डगरहो पर चलेगा।
समाज से कब दीवारों को गिराएगा ,
ए आसमा कब मुस्कुराएगा।
जब सबको बराबर जीने का हक़ होगा ,
सवालों के अपने जवाबो पर गर्व होगा ,
इस राह का इन्तजार पर गर्व होगा ,
उम्र तब जावा रहना क्योकि कल ए आसमां मुस्कुराएगा।
खुशियों की नई बौछार लाएगा ,
हर किसी की खुशुयो की बहार लाएगा ,
मुस्कुराहटो की नई उमंग लाएगा ,
उम्र तब तक जावा रहना ,
क्योकि आसमां कल मुस्कुराएगा।
ए आसमा कब मुस्कुराएगा .... ।।
कवि: साहिल कुमार, कक्षा: 9th,
अपना घर।
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