मंगलवार, 12 अगस्त 2025

कविता: " चलो कुछ सीखेंगे "


" चलो कुछ सीखेंगे "
चलो - चले ये किताबो की संसार में। 
कुछ जानेगे तो कुछ सीखेंगे ,
पहचानेगे / समझेंगे इस संसार को। 
निकले है घूमने की तलाश में ,
देखेंगे हर तरह के तारे। 
ढूंढ लेंगे ये तारो को आसमान में ,
बहुत कुछ है इस संसार में। 
चलो इस दुनिया / संसार से प्यार करे ,
और जान जाऐंगे ये पूरा जग - संसार।  
किताबो पड़ने के प्यास में ,
चलो - चले किताबो की संसार में। 
कुछ सीखेंगे , उच्च जानेगे ,
जान जाऐंगे ये पूरा जग - संसार। 
कवि: नीरज कुमार, कक्षा: 5th, 
अपना घर। 

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