शुक्रवार, 1 अगस्त 2025

कविता: " मंजिल पाओगे "

 " मंजिल पाओगे "
 यूँ न बैठ उदास होकर , 
अभी जिंदगी के कई जंग बाकी है ,
एक जंग ही तो प्रविजय हुआँ है। 
तू अगले  युद्ध की तयारी कर ,
थोड़ा मेहनत और होशियार कर ,
अबकी बार जंग जित लेंगे हम। 
जिंदगी का एक जंग 
यूँ न छोड़ अपने सपने को अधूरी , 
 यूँ भूल न अपने परिजनों को ,
हिम्मत , जूनून  और जोश है वो ,
जरा अपनी आँखो और दिमांग खोल ,
अपनी जिंदगी की कई रस्ते खेल।।
कवि: पंकज कुमार, कक्षा: 10th, 
अपना घर। 

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