" मंजिल पाओगे "
यूँ न बैठ उदास होकर ,
अभी जिंदगी के कई जंग बाकी है ,
एक जंग ही तो प्रविजय हुआँ है।
तू अगले युद्ध की तयारी कर ,
थोड़ा मेहनत और होशियार कर ,
अबकी बार जंग जित लेंगे हम।
जिंदगी का एक जंग
यूँ न छोड़ अपने सपने को अधूरी ,
यूँ भूल न अपने परिजनों को ,
हिम्मत , जूनून और जोश है वो ,
जरा अपनी आँखो और दिमांग खोल ,
अपनी जिंदगी की कई रस्ते खेल।।
कवि: पंकज कुमार, कक्षा: 10th,
अपना घर।
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