"शायद हम बड़े होने लगे है "
समय बदल गया और दोस्त भी बदल गए हैं ,
और परेशानियों से खुद लड़ने लगेहैं।
शायद हम बड़े होने लगे हैं।
परेशानीयों का सामना अकेले ही करना पड़ता हैं ,
न किसी का हाथ होता है न किसी का साया।
अब तो परेशानी को देख मुस्कुराने लगे हैं,
शायद हम बड़े होने लगे हैं।
पढ़ाई के लिए कुरवानी होती हैं ,
और दोस्तों से भी परेशानी होती हैं।
और परेशानियों से खुद लड़ने लगे ,
शायद हम बड़े होने लगे हैं।
और परेशानियों से खुद लड़ने लगेहैं।
शायद हम बड़े होने लगे हैं।
परेशानीयों का सामना अकेले ही करना पड़ता हैं ,
न किसी का हाथ होता है न किसी का साया।
अब तो परेशानी को देख मुस्कुराने लगे हैं,
शायद हम बड़े होने लगे हैं।
पढ़ाई के लिए कुरवानी होती हैं ,
और दोस्तों से भी परेशानी होती हैं।
और परेशानियों से खुद लड़ने लगे ,
शायद हम बड़े होने लगे हैं।
कक्षा: गोविंदा कुमार, कक्षा: 9th,
अपना घर।
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