" तुम कौन हो ? "
तुम कौन हो ?
दुखो से दबकर जीने वाले।
या, फिर आवाजों की दम पर लड़ने वाले।
तुम गलत हो।
उस मोड़ पर तुम चुप रहा जाते हो,
अनजान की तरह मुँह मोड़ लेते हो।
तुम कौन हो।
यह सब देखकर,
या, अपनी बातो को रखने वाले ,
तुम आगे चलो अपने हक के लिए।
यह समाज तो निचा दिखाएगा ही।
उनकी रहो पर मत चलो।
तुम कौन हो ?
जिन्दा होते हुए भी मुर्दा बन जाते,
या फिर दुखो से दबकर जीने वाले।
गलत का साथ देने वाले।
या गलत होने से रोकने वाले ,
तुम कौन हो ?
हर बुराइयाँ को सहने वाले।
या, उसे अनजान बने सुनते वाले।
तुम कौन हो ?
कवि: अमित कुमार, कक्षा: 11th,
अपना घर।
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