गुरुवार, 14 अगस्त 2025

कविता: "सूरजदेव अहिया "

 "सूरजदेव अहिया " 
 फिर से अहिया ,
देर नय करिहा कहेले कि। 
सोबल नय जा हको करि रतिया में। 
करवटिया ले हकियो  तो ,
अखिया मूंदे में डरो हकियो। 
कहो कि एक बेरी सोबे पर ,
उपबन कि नय उठबन जल्दी। 
जेकर खातिर हमराले ,
तोहार उगल मुखड़ा के। 
देखले बड़ी देर हो जितो। 
हे! सूरजदेव सुनली। 
तुरंते अहिया देर नय करिहा। 
उगिहा रोज भोरे - भोरे ।।
कवि: पिंटू कुमार, कक्षा: 10th, 
अपना घर। 

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