"आज कल का मौशम"
चन मिंटो में मौशम ने मुँह मोड़ लिया ,
धुप काम होते ही पानी की बरसा किया।
प्यासे पौधे को पानी दिया ,
कच्चे सड़को को कीचड़ दिया,
अचानक जब बारिश हुआ।
रह - रह कर क्यों बरसया है ?
थोड़ा - थोड़ा सा ही पानी देता हैं।
बारिश ने ला दिया मौशम में थोड़ा सा बदलाव ,
जिसने दिया बीमारियों को दावत,
बुखार का तो कोई समय नहीं।
जिसका कोई कहर नहीं।
फिर भी बरसने नाम नहीं लेता।
जिससे नदियाँ है बेहाल।
कवि: अजय कुमार, कक्षा: 11th,
अपना घर।
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