गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025

कविता : "गाज़ा की कहानी"

 "गाज़ा की कहानी"
 जिस तरह इसराइल ने गाज़ा ,
पर बम वारुद दागने लगे है।  
ठीक उसी तरह बाकी देश ,
उसको बचाने के बजाए वो खुद भागने लगे है। 
सभी घरो में बैठे बैठे देख ,
रहे है उसके जंग।  
बेचारा ग़ज़ा भी सोच रहा है। 
काश कोई पल भर के लिए हो जाए संग, 
खाना मिलने की परेशानी है। 
चारो तरफ आग और रक्त की निशानी है।  
पर अभी भी जाने की चाह है, 
भले ही उसके लिए नहीं कोई रहा है। 
कवि: गोविंदा कुमार, कक्षा: 9th,
अपना घर। 

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