बुधवार, 8 अक्टूबर 2025

कविता: "पढ़ - लिख रहा हूँ"

 "पढ़ - लिख रहा हूँ" 
इस समय फुल जोश में पढ़ रहा हूँ,
लिख भी रहा हूँ। 
ये भी बता दू की मैं अभी तैयारी कर राहु,
क्यूंकि परीक्षा का एलान है न ,
तभी इस तरह पागल सा पढ़ रहा हूँ।  
लिख भी रहा हूँ। 
तुमने ने कहा मैं सो जाता हूँ, 
ऐसी बात नहीं है यार, 
वो गलती से आँख बंद होता है।  
जान बूझकर वैसे भी तो आज तक सोया नहीं, 
कभी ऐसी कोशिश भी किया होगा,
मुझे अच्छे से कुछ याद नहीं। 
खेल - कूद तो, है कुछ खाश नहीं, 
इसलिए छोड़ दिया हमने उसको न जाने कब का। 
ये भी मुझे याद नहीं, 
अगर दंग से कुछ कर हूँ ,
तो सिर्फ में पढ़ हूँ लिख रहा हूँ,
इस तरह मैं। 
तैयारी कर रहा हूँ.......... ।। 
कवि: पिंटू कुमार, कक्षा: 10th,
अपना घर। 

कोई टिप्पणी नहीं: