"याद कर लेता हूँ"
वैसे वो मेरी आदत नहीं फिर,
भी याद कर लेता हूँ।
आजकल मैं बातो को भूलने लगा हूँ,
फिर भी याद करने की कोशिश कर लेता हूँ।
वो सभी बाते जो निराले थे,
वो भी बाते जो महीनो पुरानी थी।
वो सारे किस्से जो मिलकर सुनाए थे,
वो सभी चीज जो हम मिलकर सीखे थे।
जिसने पूरा का पूरा वक्त दिया,
वो सारे राज उसने खोल दिया।
भरोसा कर के साथ वो रह गई,
वक्त आने से पहले ही निशानी दे गई।
वैसे तो मेरी आदत नहीं फिर,
भी याद कर लेता हूँ।
कवि: नीरु कुमार, कक्षा: 9th,
अपना घर।
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