शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025

कविता: "2025 की दीपावली"

 "2025 की दीपावली"
अपना घर के बच्चे की तरफ "दीपावली" की हार्दिक सुभकामनाए।
हो सके तो आप सभी ग्रीन दीपावली मनाए ,
आप सभी को "दीपावली" की हार्दिक सुभकामनाए। 
अब फूटेंगे पटाके रातो को दिन को छाए चुप्पी ,
बच्चे जलाएंगे छूरछुरीया और होंगे हैप्पी - हैप्पी। 
अब घरो में बनेगी मिठाइयाँ खट्टे और मीठे ,
खाएँगे बच्चे भर पेट होके मस्त - मगन ,
अपना घर के बच्चे की तरफ "दीपावली" की हार्दिक सुभकामनाए।
इस बार होंगे नए पटाके नए तरंगे ,
जोश के साथ जलाए इस नए युग की पटाके, 
इस बार की दीपावली होगी "2025" की शान की तरह,
आप सभी की दीपावली की हार्दिक सुभकामनाए। 
सब पटाके फोड़ेंगे जैसे लगे कोई तीर,
खाश कर रात के खाने में बने खीर ही खीर। 
मिल कर अभी दीपावली मनाए ,
अपना घर के बच्चे की तरफ "दीपावली" की हार्दिक सुभकामनाए।
खुश होंगे सब के चेहरे ,
मिठाइयाँ एक दूसरे को देकर बनाए रिस्ते गहरे ,
आप सभी को "दीपावली" की हार्दिक सुभकामनाए। 
अपना घर के बच्चे की तरफ "दीपावली" की हार्दिक सुभकामनाए।
 अपना घर के बच्चे, 
अपना घर। 

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