" पत्ता जब गिरता है "
पेड़ से एक पत्ता जब वो गिरता है,
न जाने कितना दर्द उसको होता है |
कौन जाने उसकी कस्ट और दर्द ,
वो किसे अपनी दर्द बताए |
इतनी कड़े धुप में रहते हैं,
चाहे तूफान हो या फिर आँधी |
पेड़ जो सबको समान समझे
पर मुसीबत में वो मुड़कर न देखे |
हमें आज सुधरना होगा,
एक नहीं सौ पेड़ लगाना होगा |
प्रकृति से ही इसकी रौनक है,
उसके दर्द को समझना होगा |
पेड़ से एक पत्ता जब वो गिरता है,
न जाने कितना दर्द उसको होता है |
कवि : निरंजन कुमार , कक्षा : 2nd , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं निरंजन कुमार जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की बिहार के निवासी है | निरंजन को पेंटिंग बनाने का बहुत शौक है और कभी कभी बड़े कला प्रतियोगिता में भी हिस्सा लेते है और उपहार भी जीतते हैं | निरंजन बहुत ही नेक बच्चा है जो सबकी बायत मानता है |
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