" फाल्गुन का महीना "
फाल्गुन का महीना आया,
बच्चों ने रंग खेलने की तैयारी की |
भरे पिचकारी फेके पडे हैं,
लाल , हरे ,पिले रंग झेले पड़े हैं |
खूब मौज -मस्ती से खेले पड़े है,
फाल्गुन के महीने में झूम उठे है |
होली में सब जाग चुके हैं,
फाल्गुन में उमंग से फूल चुके हैं |
कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं विक्रम जिन्होंने यह कविता लिखी है | विक्रम गया जिला का रहने वाला है | विक्रम को रोचक भरी कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | विक्रम अपने आप में एक चीज ढूँढना चाहता है | विक्रम के अंदर बहुत ही क्षमता है कुछ करने की | विक्रम पढ़लिखकर गरीब लोंगो की मदद करना चाहता है |
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