" सबक सिखाना है "
जान हथेली पर लेकर,
चले जा रहे थे कश्मीर |
जैसे पहुंचे पुलवामा गांव पर
हुआ धमाका वहाँ पर |
बचने की न थी कोई ख्वाइश,
चल बसे दुनिया से ये शाहिर |
अपने को मार कर,
खुद हो गया शहीद |
इसका बदला हमें चुकाना है,
आतंकवादी को सबक सिखाना है |
कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर
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