" मुझे भी संग ले चलो "
ऐ जाने वालों मुझे भी संग ले चलो,
गले मिलते चलो ,सबको रिझाते चलो |
ऐ मेरे दोस्तों मुझे भी लेकर चलो,
मैं भी देखना चाहता हूँ सारा जहाँ,
मेरे भी कुछ सपने हैं यहाँ |
मेरे भी यार मेरे यार मेरे यार,
जैसे अपनी ही माँ से मिली है माँ मेरी,
हर कदम पर तेरी रतना करूँ मैं तेरी |
तेरी रचना से ही मेरी माँ की ये रचना,
ये उम्मीद मेरी जुडी माँ से मेरी |
कवि : कामता कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता अपना घर के छात्र कामता कुमार के द्वारा लिखी गई है जो की मूल रूप से बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | कामता कविता पुलवामा हमला के उपलक्ष में लिखा है |
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