" हवाएँ कुछ कह रहीं हैं "
ठंडी हवाएँ कुछ कह रहीं हैं,
मानों प्रकृति में मंद से बह रही हैं |
प्रकृति का सौंदर्य देता है साहस,
गर्मी मौसम में भी पहुंचता है राहत |
वक्त भी साथ रहता है,
पर यह कुछ नहीं कहता है |
हवाएँ कुछ हमें कह जाती है,
एक बार आती फिर चली जाती हैं |
हवा एक समंदर की तरह होता है,
एक डूब जाए वह वहीँ रह जाता है |
कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर
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