मंगलवार, 4 मार्च 2025

कविता : " बदलते मौसम "

 " बदलते मौसम "
आने वाला  है वो मौसम 
जिस मौसम का है इन्तजार। 
ठंडी से बच -  बचकर ,
बीत गया है आधा साल।,
सिर्फ था गर्मी का इन्तजार। 
ये गर्मी आने वाला है फिलहाल , 
ये ठंडी को जाने के लिए ,
है फिर एक सप्ताह की बाद। 
फिर आ जाएगा गर्मी ,
और खूब मजे करेंगे , 
चाहे गर्मी हो या बरसात। 
बस कुछ दिनों की है इन्तजार। 
आने वाला है वो मौसम 
जिस मौसम का है इन्तजार। 
फिर तो खूब मजे करेंगे ,
 चाहे गर्मी हो या बरसात। 
बस कुछ दिनों का है इन्तजार। 
इस कविता के कवि है नवलेश कुमार। 
कविः नवलेश कुमार , कक्षा: 10th 
अपना घर 

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