" बदलते मौसम "
आने वाला है वो मौसम
जिस मौसम का है इन्तजार।
ठंडी से बच - बचकर ,
बीत गया है आधा साल।,
सिर्फ था गर्मी का इन्तजार।
ये गर्मी आने वाला है फिलहाल ,
ये ठंडी को जाने के लिए ,
है फिर एक सप्ताह की बाद।
फिर आ जाएगा गर्मी ,
और खूब मजे करेंगे ,
चाहे गर्मी हो या बरसात।
बस कुछ दिनों की है इन्तजार।
आने वाला है वो मौसम
जिस मौसम का है इन्तजार।
फिर तो खूब मजे करेंगे ,
चाहे गर्मी हो या बरसात।
बस कुछ दिनों का है इन्तजार।
इस कविता के कवि है नवलेश कुमार।
कविः नवलेश कुमार , कक्षा: 10th
अपना घर
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