सोमवार, 17 मार्च 2025

कविता : " ज्यादा नाज़ मत करना "

 " ज्यादा नाज़ मत करना "
ज्यादा नाज़ मत करना अपनी सफ़लताओं पर। 
वक्त सबकुछ बदल देता है इस जहाँ में। 
इस जहाँ में लोग आते है जिंदगी में हररोज ,
फिजूल वक्त जया मत करना मुस्कुराने में। 
ज्यादा नाज़ मत करना अपनी सफलताओं में। 
कभी - कभी नीचे ही उदा  ले जाती सपनो को ,
 सबकुछ बदलकर साहिल पर छोड़ जाती हैं। 
ऊंची सफलताओं में ,
बढ़ती असफलताओ से निराश मत होना जिंदगी में। 
वक्त सबकुछ बदल देता हैं इस जहाँ में। 
विशवास करना अपनी उचाइयो मे ,
ज्यादा नाज़ मत करना अपनी सफलताओं में। 
कवि : निरु कुमार ,कक्षा : 9th,
अपना घर। 

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