" ज्यादा नाज़ मत करना "
ज्यादा नाज़ मत करना अपनी सफ़लताओं पर।
वक्त सबकुछ बदल देता है इस जहाँ में।
इस जहाँ में लोग आते है जिंदगी में हररोज ,
फिजूल वक्त जया मत करना मुस्कुराने में।
ज्यादा नाज़ मत करना अपनी सफलताओं में।
कभी - कभी नीचे ही उदा ले जाती सपनो को ,
सबकुछ बदलकर साहिल पर छोड़ जाती हैं।
ऊंची सफलताओं में ,
बढ़ती असफलताओ से निराश मत होना जिंदगी में।
वक्त सबकुछ बदल देता हैं इस जहाँ में।
विशवास करना अपनी उचाइयो मे ,
ज्यादा नाज़ मत करना अपनी सफलताओं में।
कवि : निरु कुमार ,कक्षा : 9th,
अपना घर।
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