" बचपन "
वो बचपन का भी क्या जमाना था।
सुबह उठना और स्कूल आना जाना था।
उस बचपन में डाट मार तो हम ने भी खाए हैं।
पर रोकर भी बत्तीसी दिखाना ,
बस एक बहाना था।
पढ़ाई चाहकर भी न करना ,
पर दोस्तो के साथ समय उड़ाना था।
खेलने के लिए सबसे पहले आगे पहुच जाना ,
और उसी में पूरा समय बिताना था।
वो बचपन का भी क्या जमाना था।
दोस्तों के साथ लड़ना और
दुसरो को लड़ना था।
कभी - कभी तो मार हम भी खा जाते ,
पर बाद में उसको भी चिढ़ाना था।
वो बचपन का भी क्या जमाना था।
कवि : गोविंदा कुमार ,कक्षा : 9th,
अपना घर
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