सोमवार, 17 मार्च 2025

कविता : "बचपन "

  " बचपन "
वो बचपन का भी क्या जमाना था। 
सुबह उठना और स्कूल आना जाना था। 
उस बचपन में डाट मार तो हम ने भी खाए हैं। 
पर रोकर भी बत्तीसी दिखाना ,
बस एक बहाना था। 
पढ़ाई चाहकर भी न करना , 
पर दोस्तो के साथ समय उड़ाना था। 
खेलने के लिए  सबसे पहले आगे पहुच जाना ,
और उसी में पूरा समय बिताना था। 
वो बचपन का भी क्या जमाना था। 
दोस्तों के साथ लड़ना और 
दुसरो को लड़ना था। 
कभी - कभी तो मार हम भी खा जाते ,
पर बाद में उसको भी चिढ़ाना था। 
वो बचपन का भी क्या जमाना था।  
कवि : गोविंदा कुमार ,कक्षा : 9th,
अपना घर 

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