रविवार, 30 मार्च 2025

कविता : " माँ "

 "  मेरी माँ " 
ये लव्ज है तो उन्ही की बदौलत।  
जिंदगी भी तो उन्ही की बदौलत। 
जननी होकर मेरी अम्मा दरजा निभा  लिया। 
इतने काबिल है तो उन्ही की बदौलत ,
खुशियाँ  जिंदगी भेंट में दे दी। 
जिंदगी में मेरा नसीब लिख  दिया ,
दिग्गज है औलाद पर जिसने अपने अम्मा को भुला दिया ,
मेरी तो जान है वो। 
 जिसे मैने  हृदय  में बैठा। 
ये लव्ज है तो उन्ही की बदौलत।  
जिंदगी भी तो उन्ही की बदौलत। 
कवि : नवलेश कुमार , कक्षा : 10th ,
अपना घर। 

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