" मेरी माँ "
ये लव्ज है तो उन्ही की बदौलत।
जिंदगी भी तो उन्ही की बदौलत।
जननी होकर मेरी अम्मा दरजा निभा लिया।
इतने काबिल है तो उन्ही की बदौलत ,
खुशियाँ जिंदगी भेंट में दे दी।
जिंदगी में मेरा नसीब लिख दिया ,
दिग्गज है औलाद पर जिसने अपने अम्मा को भुला दिया ,
मेरी तो जान है वो।
जिसे मैने हृदय में बैठा।
ये लव्ज है तो उन्ही की बदौलत।
जिंदगी भी तो उन्ही की बदौलत।
कवि : नवलेश कुमार , कक्षा : 10th ,
अपना घर।
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