शीर्षक :- हुआ सवेरा
हुआ सवेरा निकला सूरज....
शाम को पश्चिम को जाता,
जब-जब सूरज उगता है....
तब-तब फूल खिलते है,
फिर वे अपनी सुगंध को....
अपने चारों ओर फैलाते है,
बच्चे उसमे खूब खेलते है....
फिर हंसते मुस्काते है,
हुआ सवेरा निकला सूरज....
शाम को पश्चिम को जाता,
हुआ सवेरा निकला सूरज....
शाम को पश्चिम को जाता,
जब-जब सूरज उगता है....
तब-तब फूल खिलते है,
फिर वे अपनी सुगंध को....
अपने चारों ओर फैलाते है,
बच्चे उसमे खूब खेलते है....
फिर हंसते मुस्काते है,
हुआ सवेरा निकला सूरज....
शाम को पश्चिम को जाता,
कवि : जितेन्द्र कुमार
कक्षा : 9
अपना घर
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