शीर्षक :- यही है हम नेताओं का चरित्र
हम नेता जब सत्ता में आते हैं....
अपने वादों को हम धूल में मिलाते हैं,
लूटते खूब जनता का पैसा....
ये सब लगता, एक खेल जैसा,
घोटाले पर घोटाला करके....
भ्रष्टाचार खूब फैलाते हैं,
जाति-पाति के नाम पर....
वोट हमें मिल जाते है,
सोर्स शिफारिस और रिश्वत देकर....
नेता हम बन जाते है,
नेता बनने के बाद फिर हम....
पैसा खूब कमाते है,
स्विस बैंक से हमारा नाता....
स्विस बैंक में ही खुलता खाता,
फिर भ्रष्टाचारी और घूंसखोरी बन जाते हमारे मित्र....
यही है, हम सब नेताओं के चरित्र,
हम नेता जब सत्ता में आते हैं....
अपने वादों को हम धूल में मिलाते हैं,
लूटते खूब जनता का पैसा....
ये सब लगता, एक खेल जैसा,
घोटाले पर घोटाला करके....
भ्रष्टाचार खूब फैलाते हैं,
जाति-पाति के नाम पर....
वोट हमें मिल जाते है,
सोर्स शिफारिस और रिश्वत देकर....
नेता हम बन जाते है,
नेता बनने के बाद फिर हम....
पैसा खूब कमाते है,
स्विस बैंक से हमारा नाता....
स्विस बैंक में ही खुलता खाता,
फिर भ्रष्टाचारी और घूंसखोरी बन जाते हमारे मित्र....
यही है, हम सब नेताओं के चरित्र,
कवि : धर्मेन्द्र कुमार
कक्षा : 9
अपना घर
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