शीर्षक :- माँ बाप
जब सोचता अपने माँ बाप के बारे में....
तब हमें ख्याल आता है कि,
उन्होंने ही हमें आगे बढाया....
और हमें सीख दी, फिर,
हम उन्हें क्यों ठुकराते हैं....
सोंचो ? कितना दुःख उन्होंने उठाया होगा,
हमें पालने-पोसने में....
फिर भी हम उन्हें ठुकराते है,
सोंचो ? नहीं होंगे जिनके माँ बाप....
उन्हें क्या ? सीख मिलती है,
मुझे तो लगता धन्य है वे लोग....
जिनके माँ बाप होते है,
मैं भी वही सुख पा रहा हूँ....
और उन्ही की छाया में अब,
मैं उचाईयों को छूता जा रहा हूँ....
जब सोचता अपने माँ बाप के बारे में....
तब हमें ख्याल आता है कि,
उन्होंने ही हमें आगे बढाया....
और हमें सीख दी, फिर,
हम उन्हें क्यों ठुकराते हैं....
सोंचो ? कितना दुःख उन्होंने उठाया होगा,
हमें पालने-पोसने में....
फिर भी हम उन्हें ठुकराते है,
सोंचो ? नहीं होंगे जिनके माँ बाप....
उन्हें क्या ? सीख मिलती है,
मुझे तो लगता धन्य है वे लोग....
जिनके माँ बाप होते है,
मैं भी वही सुख पा रहा हूँ....
और उन्ही की छाया में अब,
मैं उचाईयों को छूता जा रहा हूँ....
कवि : दिव्यांशु गौतम
कक्षा : 7
अपना घर
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