शीर्षक :- मौसम बसंत का
बसंत का वो मौसम....
जिसमें रातें सुहावनी हुआ करती थी,
और उसके दिन अक्सर....
बारिश की बूंदों में भीगा करते थे,
हमें मजा तो आता था उस वक्त....
जब हम स्कूलों को बसों में चला करते थे,
बैठ कक्षाओं में दोस्तों के साथ....
हम बूंदों को गिना करते थे,
अभी भी हमें याद है वो शाम....
जब हम भीगते हुए घरों को आया करते थे,
दोस्तों के साथ घरों में हम....
अक्सर कुछ पल बिताया करते थे,
बैठ कर उन्ही घरों में....
हम मीठी-मीठी बातें किया करते थे,
या फिर बरसात के समय हम....
किसी दुकान पर चाय पिया करते थे,
अगर हम चाह लें तो भी....
वो हमसे भुलाये नहीं जाते हैं,
क्योंकि ये हैं वो क्षण....
हर बरसात दोहराए नहीं जाते हैं,
बसंत का वो मौसम....
जिसमें रातें सुहावनी हुआ करती थी,
और उसके दिन अक्सर....
बारिश की बूंदों में भीगा करते थे,
हमें मजा तो आता था उस वक्त....
जब हम स्कूलों को बसों में चला करते थे,
बैठ कक्षाओं में दोस्तों के साथ....
हम बूंदों को गिना करते थे,
अभी भी हमें याद है वो शाम....
जब हम भीगते हुए घरों को आया करते थे,
दोस्तों के साथ घरों में हम....
अक्सर कुछ पल बिताया करते थे,
बैठ कर उन्ही घरों में....
हम मीठी-मीठी बातें किया करते थे,
या फिर बरसात के समय हम....
किसी दुकान पर चाय पिया करते थे,
अगर हम चाह लें तो भी....
वो हमसे भुलाये नहीं जाते हैं,
क्योंकि ये हैं वो क्षण....
हर बरसात दोहराए नहीं जाते हैं,
कवि : सोनू कुमार
कक्षा : 11
अपना घर
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