शीर्षक :- तारों के पास
पड़ती गर्मी होती बरसात....
फिर मन मेरा होता उदास,
गर्मी में मरते है....
फिर कीचड में फसंते है,
ये गर्मी न होती....
न होती बरसात,
फिर मन मेरा न होता उदास....
सूर्य न होता,
बदल न होते....
न होता ये आकाश,
काश हम होते तारों के पास....
फिर मन मेरा होता क्यों उदास,
पड़ती गर्मी होती बरसात....
फिर मन मेरा होता उदास,
गर्मी में मरते है....
फिर कीचड में फसंते है,
ये गर्मी न होती....
न होती बरसात,
फिर मन मेरा न होता उदास....
सूर्य न होता,
बदल न होते....
न होता ये आकाश,
काश हम होते तारों के पास....
फिर मन मेरा होता क्यों उदास,
कवि : हंसराज कुमार
कक्षा : 9
अपना घर
1 टिप्पणी:
सुंदर कविता लिखी है आपने ...
लिखते रहिये ...
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