रविवार, 8 जुलाई 2012

शीर्षक :- भट्टा

शीर्षक :- भट्टा 
भट्टों में जीवन जलता है....
उस आग में ईंटा पकता है,
कामों के बोझ तले दबकर....
बच्चों का बचपन मरता है,
पढ़ना लिखाना दूर की बातें....
काम करना दिन और रातें,
थककर जब आराम करूँ तो....
पेट की भूख जगाता है,
रंग बिरंगे खेल-खिलौने....
बिस्तर नरम और झूले पलने,
राजा रानी परी कहानी....
क्या ये सच में होते हैं,



कवि : महेश 
अपना घर