शीर्षक :- दोपहरी
दो पहर, ठहरी दोपहरी....
यादों की दोपहरी,
घटनाओं की दोपहरी....
दो पहर, रुकी दोपहरी,
मिलन की दोपहरी....
शांति की दोपहरी,
आग सी दोपहरी....
दो पहर, ठहरी दोपहरी,
इंतजार की तपन की....
दिन की जवानी दोपहरी,
दो पहर, ठहरी दोपहरी....
दो पहर, ठहरी दोपहरी....
यादों की दोपहरी,
घटनाओं की दोपहरी....
दो पहर, रुकी दोपहरी,
मिलन की दोपहरी....
शांति की दोपहरी,
आग सी दोपहरी....
दो पहर, ठहरी दोपहरी,
इंतजार की तपन की....
दिन की जवानी दोपहरी,
दो पहर, ठहरी दोपहरी....
कवि :किशन व्यास
अपना घर
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