शीर्षक :- मेला
एक शहर में लगा हुआ था....
कई दिनों से मेला,
बच्चे बूढ़े सब जाकर देखे....
घूम-घूम कर लगा रहे थे,
चारों तरफ का फेरा....
बच्चे बोले मम्मी-पापा,
झूला दो मुझको झूला....
अगर नहीं झुलाया झूला,
साथ नहीं मैं जाऊंगा....
पूरे मेले में जाकर,
दौड़-दौड़ कर घूमूँगा....
मम्मी-पापा लगे ढूंढ़ने,
अपने प्यारे दुलारे को....
ऐसी गलती कभी न करते,
अपने राज दुलारे से....
कवि : जीतेन्द्र कुमार
कक्षा : 9
अपना घर
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