शनिवार, 23 जून 2012

शीर्षक :- अँधेरे में चन्द्रमा

शीर्षक :- अँधेरे में चन्द्रमा 
रात के अँधेरे में....
चन्द्रमा के घेरे में,
 


सूरज की बांतो में....
तारों की रातों में,
जग-मगा रहे थे तारे....

चंद्रमा व सूरज लग रहे थे प्यारे,
मन करता है उनको छुलूं....
मन करता है उनसे बोलूं,
उनको अपने पास बुलाकर....
अलग-अलग सवाल मैं पूछूं,
रात के अँधेरे में चंद्रमा के घेरे में....





कवि : मुकेश कुमार 
कक्षा : 11
अपना घर