कविता :- मशीनी दुनिया
दुनिया आगे बढाती जा रही....
नई-नई तकनीकि बना रही,
दिमाग लगा कम्प्यूटर बना दिया....
और आसमान जहाज उड़ा दिया,
आज इस मशीनी दुनिया में....
इन्सान का नहीं अब काम रहा,
ऐसी ऐसी मशीन बन गई....
हर काम मशीन करती हो जहाँ,
कम्प्यूटर इन्टरनेट से तो अब....
दूर-दूर तक बाते हो जाती,
कैसे होता है ये सब....
बात ये समझ न आती,
दुनिया आगे बढाती जा रही....
नई-नई तकनीकि बना रही,
दिमाग लगा कम्प्यूटर बना दिया....
और आसमान जहाज उड़ा दिया,
आज इस मशीनी दुनिया में....
इन्सान का नहीं अब काम रहा,
ऐसी ऐसी मशीन बन गई....
हर काम मशीन करती हो जहाँ,
कम्प्यूटर इन्टरनेट से तो अब....
दूर-दूर तक बाते हो जाती,
कैसे होता है ये सब....
बात ये समझ न आती,
नाम : धर्मेन्द्र कुमार
कक्षा : 9
अपना घर
कक्षा : 9
अपना घर
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