शीर्षक :- नशेड़ी
ऊपर वाले से दुआ की थी....
मेरे बगल वाले ने शराब पी थी,
वह नशे में था....
उसको होश नहीं कि वह कहाँ था,
सीधा जाते हुए खम्बे से टकरा कर बोला....
सॉरी माफ़ करना मेरा नाम है भोला,
पास खड़े एक व्यक्ति नें यह जब देखा....
सोंचा इस नशेड़ी को दे दूँ धोखा,
वह लग गया उसके पीछे....
तान के अपनी मूछें,
वह उसके पास जाकर बोला....
मुझे पहचाना हम दोनों गए थे देखने मेला,
नशेड़ी लिपट गया उसके गले....
उसने कहा बहुत दिनों के बाद मिला है पगले,
इतने में नशेड़ी नें कर दिए पैसे पार....
मौका देख हो गया वहां से फरार,
ऊपर वाले से दुआ की थी....
मेरे बगल वाले ने शराब पी थी,
वह नशे में था....
उसको होश नहीं कि वह कहाँ था,
सीधा जाते हुए खम्बे से टकरा कर बोला....
सॉरी माफ़ करना मेरा नाम है भोला,
पास खड़े एक व्यक्ति नें यह जब देखा....
सोंचा इस नशेड़ी को दे दूँ धोखा,
वह लग गया उसके पीछे....
तान के अपनी मूछें,
वह उसके पास जाकर बोला....
मुझे पहचाना हम दोनों गए थे देखने मेला,
नशेड़ी लिपट गया उसके गले....
उसने कहा बहुत दिनों के बाद मिला है पगले,
इतने में नशेड़ी नें कर दिए पैसे पार....
मौका देख हो गया वहां से फरार,
कवि : आशीष कुमार
कक्षा : 10
अपना घर
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