शीर्षक :- संपादकीय
दोस्तों,
दोस्तों,
मैं पहली बार सम्पादकीय लिखने जा रहा हूँ, हो तो जो गलती हो। उससे मुझे सचेत करें जिससे मैं उस गलती में सुधार कर सकूँ। मई और जून की छुट्टियाँ तो अब बीतने को हैं। जून की गर्मियों की छुट्टी तो इस साल सभी को बहुत खली होगी, क्योंकि इस गर्मी ने तो छुट्टी का पूरा मजा ही बिगाड़ दिया। वो समय जब हम इसी छुट्टी के समय बरसात की फुहारों का आनन्द लेते थे। वहीँ इस साल हम सुबह से शाम तक घर से निकलने के इस लू के थमने का इन्तजार करते रहें हैं। हाँ तो हमारी छुट्टियाँ कब बीत गई हमें महसूस भी नहीं हुआ घूमने ही घुमने में हमारी सारी की सारी छुट्टियाँ ही बीत गई। अब जब स्कूल खुलने को है, तो हम सभी अपने अपने रिश्तेदारों के घर से अपने घर को आ रहे है। और हम आशा करते हैं कि सभी की छुट्टियाँ बहुत ही अच्छे से बीती होंगी और आपने इस दौरान खूब मस्ती भी की होगी और हमारा "बाल सजग" अच्छे से चल रहा है, और आगे बढ़ते जा रहा है। जिस तरह से एक पौधे का बीज अंकुरित होकर विकसित होता है...इसमें सबसे ज्यादा ख़ुशी की बात ये है। कि आज कल छुट्टी है तो सभी लोग बहुत अच्छा-अच्छा लिखने की कोशिश कर रहें है। और आज-कल सभी लोगों की कविता जरुर किसी न किसी मुद्दे पर आधारित रहती है। इस समय सभी सदस्य बाल सजग को चलाने में अपना-अपना सम्पूर्ण योगदान दे रहे है। जिससे "बाल सजग" में एक से एक अच्छी कविता लिखी जा रहीं है। अब सभी लोगों के स्कूल खुल चुके है, तो सभी से मैं ये ही कहना चाहूगां। कि सभी लोग पुरे मन से पढाई करें और इसके अलावा कुछ अलग भी करने का सपना सजोयें.........................।
उपसंपादक : सोनू कुमार
कक्षा : 11
अपना घर
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