शीर्षक :- मन
मन क्यों करता है जाने क्या करता है....
मन की बात हमको मानना ही पड़ता है,
ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है....
हर समय हर पल मन की बात सुनना पड़ता है,
ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है....
मन क्यों बड़े लोगो की बात मानने से कतराता है,
ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है....
मन क्यों कठिनाइयों को झेलने से डरता है,
ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है....
पहाड़ जैसे मुशिकलों को गले लगाने से क्यों डरता है,
आगे बदने पर पहाड़ जैसे मुशिकलों से क्यों डरता है....
मन क्यों करता है जाने क्या करता है....
मन की बात हमको मानना ही पड़ता है,
ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है....
हर समय हर पल मन की बात सुनना पड़ता है,
ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है....
मन क्यों बड़े लोगो की बात मानने से कतराता है,
ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है....
मन क्यों कठिनाइयों को झेलने से डरता है,
ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है....
पहाड़ जैसे मुशिकलों को गले लगाने से क्यों डरता है,
आगे बदने पर पहाड़ जैसे मुशिकलों से क्यों डरता है....
कवि : जमुना कुमार
कक्षा : 7
अपना घर
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