शीर्षक :- ककडियाँ
गर्मी के मौसम में....
ताजी ताजी हरी ककडियाँ,
ये मन को ठंडा कर देती है....
सभी को पसंद ये आती है,
हरी भरी ककडियाँ हैं....
नदिया का किनारा घर है इनका,
आती हैं बोरों में भरकर....
हैं कितनी हरी भरी ककडियाँ,
गर्मी के मौसम में आती हैं....
छोटी हों या बड़ी हों,
हवा की लपटों से लड़ी ककडियाँ,
गर्मी के मौसम में....
ताजी ताजी हरी ककडियाँ,
कवि : जितेन्द्र कुमार
कक्षा : 9
अपना घर
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