शीर्षक :- आज का आदमी
इस परिवर्तन शील संसार में हर नेता....
कुत्ता बन कर जीना सीख लिया है,
अपने आप को भूल गया है....
और कुत्तों को देखकर उसी के,
झुण्ड में रहना सीख लिया है....
इस परिवर्तन शील संसार में हर नेता,
कुत्ता बन कर जीना सीख लिया है....
आम जनता ने जिन कुत्तो को रोटी दे-दे,
कर M.P., M.L.A. में भेज दिया है....
आज वही कुत्ता आम जनता पर,
भौकना और हुक्म चलाना सीख लिया है....
जब आम जनता उनके ऊपर रौब जमाता है,
तो उनकी मज़बूरी बन गई है क्योंकि....
उसने अपनी दम हिलाना सीख लिया है,
न किसी के प्रति प्रेम भाव है....
न स्नेह न श्रद्धा है,
और अब हम क्या कहें उसने तो अब....
हर किसी को लूटना सीख लिया है,
इस परिवर्तन शील संसार में हर नेता....
कुत्ता बन कर जीना सीख लिया है,
इस परिवर्तन शील संसार में हर नेता....
कुत्ता बन कर जीना सीख लिया है,
अपने आप को भूल गया है....
और कुत्तों को देखकर उसी के,
झुण्ड में रहना सीख लिया है....
इस परिवर्तन शील संसार में हर नेता,
कुत्ता बन कर जीना सीख लिया है....
आम जनता ने जिन कुत्तो को रोटी दे-दे,
कर M.P., M.L.A. में भेज दिया है....
आज वही कुत्ता आम जनता पर,
भौकना और हुक्म चलाना सीख लिया है....
जब आम जनता उनके ऊपर रौब जमाता है,
तो उनकी मज़बूरी बन गई है क्योंकि....
उसने अपनी दम हिलाना सीख लिया है,
न किसी के प्रति प्रेम भाव है....
न स्नेह न श्रद्धा है,
और अब हम क्या कहें उसने तो अब....
हर किसी को लूटना सीख लिया है,
इस परिवर्तन शील संसार में हर नेता....
कुत्ता बन कर जीना सीख लिया है,
कवि : सागर कुमार
कक्षा : 9
अपना घर
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