शीर्षक :- गीत ख़ुशी के
वो ज़मी वो आशियाना....
हमें भी मिलना चाहिए,
अब इस कीचड़ और टीन छत....
से अब हमें निकलना चाहिए,
आखिर कब तक हम....
देख-देख यूँ तरसते रहेंगे,
आखिर कब तक हम केवल....
उसे ख्वाबों में अपना कहेंगे,
आखिर कब तक हम....
काम करके आँसू बहाते रहेंगे,
और कब तक हम अपने गांवों में....
शोकगीत गाते रहेंगे,
कब तक हम दूसरों के....
कर्जे तले दबे रहेंगे,
इस अँधेरे में अब हम....
सपने अपने बुनेंगे,
अब हम भी पढेंगे....
पढ़-पढ़ कर आगे बढ़ेंगे,
यूँ तो रो-रो कर....
आसूं हैं हमने बहुत बहाए,
मन तो कह रहा अब कुछ....
पल ख़ुशी के गीत हो जाएँ,
वो ज़मी वो आशियाना....
हमें भी मिलना चाहिए,
अब इस कीचड़ और टीन छत....
से अब हमें निकलना चाहिए,
आखिर कब तक हम....
देख-देख यूँ तरसते रहेंगे,
आखिर कब तक हम केवल....
उसे ख्वाबों में अपना कहेंगे,
आखिर कब तक हम....
काम करके आँसू बहाते रहेंगे,
और कब तक हम अपने गांवों में....
शोकगीत गाते रहेंगे,
कब तक हम दूसरों के....
कर्जे तले दबे रहेंगे,
इस अँधेरे में अब हम....
सपने अपने बुनेंगे,
अब हम भी पढेंगे....
पढ़-पढ़ कर आगे बढ़ेंगे,
यूँ तो रो-रो कर....
आसूं हैं हमने बहुत बहाए,
मन तो कह रहा अब कुछ....
पल ख़ुशी के गीत हो जाएँ,
कवि : सोनू कुमार
कक्षा : 11
अपना घर
1 टिप्पणी:
आसूं हैं हमने बहुत बहाए,
मन तो कह रहा अब कुछ....
पल ख़ुशी के गीत हो जाएँ,
सच कहा खुशी के गीत गाने का समय आना ही चाहिये ।
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